Palm oil price: इंटरनेशनल मार्केट में पाम ऑयल के भाव 6 महीनों के निचले स्तरों पर फिसल गए हैं। मलेशिया अब कह रहा है कि दाम अब Competitive हो गए हैं और अब मांग रुकने वाली नहीं है। इंडस्ट्री इस बात से कितना इत्तेफाक रखती है? इंटरनेशनल मार्केट में दाम 6 महीनों के नीचे फिसला है। पाम ऑयल के भाव 3911 रिंग्गित तक गिरा था । निचले स्तरों से पाम ऑयल की कीमतों में खरीदारी लौटी है। ग्लोबल टेंशन ने बाजार की चिंता बढ़ाई है। उत्पादन बढ़ने की संभावना ने भी फिर पाम ऑयल के दाम गिरे।
पाम ऑयल के रिटर्न पर नजर डालें तो 1 हफ्ते में 0.17 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। 1 महीने में पाम ऑयल का भाव 7 फीसदी लुढ़का है। जनवरी 2025 से अब तक पाम ऑयल की कीमतों में 10 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।
सनविन ग्रुप के संदीप बजोरिया (Sandeep Bajoria) का कहना है कि पाम ऑयल की कीमतों में गिरावट आई है। दाम बढ़े से भारत ने पाम ऑयल का कम इंपोर्ट किया। 8-8.5 लाख टन पाम ऑयल का इंपोर्ट हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि पाम की जगह देश ने सोयाबीन का इंपोर्ट ज्यादा हुआ था। मलेशिया में पाम ऑयल का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। 4-4.5 लाख टन सोयाबीन ऑयल का इंपोर्ट होगा। मलेशिया में 1200 डॉलर सफ्लावर, 1250 डॉलर सोयाबीन, 1225 डॉलर पाम ऑयल का भाव चल रहा है। संदीप बजोरिया ने आगे कहा कि बढ़ती गर्मी फसलों के लिए ठीक नहीं है। इस साल भी माॉनसून अच्छा रहने की उम्मीद है।
यूएस के साथ अच्छी बातचीत चल रही
टैरिफ वार पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि टैरिफ पर अमेरिका के साथ अच्छी बातचीत चल रही है। अमेरिका के साथ भारत का करार जल्द पूरा होने की उम्मीद है। ट्रंप को भी समझ में आ गया है कि टैरिफ को लेकर दुनिया भर में उथल-पुथल मचाना उनके अपने देश के लिए नकारात्मक होगा। जिसके चलते ट्रंप पॉश भी लिया है।
खाने के तेल की कीमतों में लागातार बढ़ रहे
संदीप बजोरिया ने आगे कहा कि खाने के तेल की ग्लोबल सप्लाई को लेकर कोई चिंता नहीं है। देश में खाने के तेल की कीमतों में लागातार बढ़ रहे है। खाने के तेल की कीमतें डेढ़ गुना बढ़ गई है। जिसके चलते कंज्मशन में दबाव बन रहा है।
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