Last Updated on June 17, 2025 15:03, PM by
जीएसटी काउंसलि सेस की मौजूदा व्यवस्था में बड़ा बदलाव कर सकती है। मौजूदा कंपनसेशन सेस की जगह दो नई लेवीज लगाई जा सकती हैं। इसके पहला हेल्थ सेस और दूसरा क्लीन एनर्जी सेस हो सकता है। सेस की नई व्यवस्था 31 मार्च, 2026 को मौजूदा व्यवस्था एक्सपायर करने पर लागू हो सकती है। इस मसले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर इस बारे में बताया।
जीएसटी काउंसिल की बैठक में प्रस्ताव पर होगा विचार
यह प्रस्ताव कंपनसेशन सेस (Compensation cess) पर ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) के जरिए आगे भेजा जाएगा। इस जीओएम के अथ्यक्ष केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी हैं। सूत्रों ने बताया कि जीओएम की अगली बैठक में इस मसले पर चर्चा हो सकती है। अभी इसका समय तय नहीं हुआ है। सूत्रों ने बताया कि जीओएम में चर्चा के बाद जीएसटी काउंसिल इस प्रस्ताव पर विचार करेगी। जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक संसद के मानसून सत्र से पहले होने की उम्मीद है।
राज्यों को कंपनसेशन के लिए लागू था कंपनेशन सेस
कंपनसेशन सेस राज्यों को रेवेन्यू में होने वाले लॉस की भरपाई के लिए लगाया गया था। जीएसटी की व्यवस्था 1 जुलाई, 2017 को लागू हुई थी। तब यह तय हुआ था कि जीएसटी व्यवस्था की व्यवस्था लागू होने से राज्यों को रेवेन्यू में जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी। यह व्यवस्था मार्च 2026 में खत्म होने जा रही है। पहले यह सेस जून 2022 में खत्म होने वाला था। लेकिन, कोविड के दौरान केंद्र सरकार ने राज्यों को रेवेन्यू में लॉस की भरपाई के लिए लोन लिया था। लोन के पैसे को लौटाने के लिए इस सेस की अवधि बढ़ा दी गई।
कंपनसेशन सेस हटाने पर सहमति बन चुकी है
सूत्रों ने बताया कि ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स में मौजूदा कंपनसेशन सेस को हटाने के प्रस्ताव पर करीब सहमति बन गई है। इसकी जगह हेल्थ सेस और क्लीन एनर्जी सेस लगाने का प्रस्ताव है। सूत्र ने कहा कि हेल्थ सेस सिन गुड्स (Sin Goods) तंबाकू जैसे उत्पादनों पर लगाया जाएगा। क्लीन एनर्जी सेस कोल और लग्जरी ऑटोमोबाइल्स पर लगाया जाएगा। इसके पीछ सेस आधारित रेवेन्यू के स्रोत को बनाए रखना है, जिससे पब्लिक हेल्थ और सस्टेनिबिलिटी एनिशिएटिव की मदद की जा सकती है।
सिन प्रोडक्स पर लग सकता है हेल्थ सेस
ज्यादातर राज्य उन प्रोडक्ट्स पर सेस लगाने के प्रस्ताव के पक्ष में हैं, जिनके इस्तेमाल से स्वास्थ्य को नुकसान होता है। बताया जाता है कि जीओएम इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने से पहले अंतिम बार इस पर विचार करेगा। जीओएम में भले ही इस पर राय बन चुकी है लेकिन इसे लागू के रास्ते में कुछ संवैधानिक बाधाएं आ सकती हैं। इसकी वजह यह है कि जीएसटी कानून में नया सेस लगाने की इजाजत नहीं है। इसलिए इसे लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत पड़ेगी।