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Tata Trusts के भीतर बढ़ा तनाव, सरकार भी दे सकती है दखल; नोएल टाटा से मीटिंग का प्लान

Tata Trusts के भीतर बढ़ा तनाव, सरकार भी दे सकती है दखल; नोएल टाटा से मीटिंग का प्लान

Last Updated on October 8, 2025 7:25, AM by Khushi Verma

सरकार ने टाटा ट्रस्ट्स (Tata Trusts) के भीतर बढ़ते तनाव को नोटिस किया है। CNBC-TV18 ने टाटा ग्रुप के करीबी सूत्रों के हवाले से बताया कि अगर ट्रस्ट्स के बीच मतभेद गहराता है, तो सरकार दखल दे सकती है। टाटा ट्रस्ट्स के पास टाटा सन्स में करीब 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

एक सूत्र ने बताया कि सरकार इस मामले में मूकदर्शक नहीं रह सकती, क्योंकि इसका असर सिर्फ टाटा सन्स (Tata Sons) के संचालन पर ही नहीं, बल्कि पूरे भारतीय उद्योग जगत और अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।

नोएल टाटा और एन चंद्रशेखरन की मुलाकात

 

रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा और टाटा सन्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन आज वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से मुलाकात कर सकते हैं। यह बैठक ट्रस्ट्स में गवर्नेंस (governance) को लेकर चल रहे विवाद पर चर्चा के लिए होगी।

इसमें कुछ शीर्ष कैबिनेट मंत्री भी शामिल हो सकते हैं, क्योंकि चिंता है कि ये मतभेद टाटा सन्स और पूरे टाटा समूह के कामकाज को प्रभावित कर सकते हैं।

ट्रस्टीज की डिमांड क्या है?

यह पूरा विवाद टाटा ग्रुप पर नियंत्रण को लेकर है। चार ट्रस्टी- दारियस खंबाटा, जहांगीर एचसी जहांगीर, प्रमीत झावेरी और मेहली मिस्त्री चाहते हैं कि उन्हें ग्रुप से जुड़े फैसलों में ज्यादा अधिकार मिले। खासकर टाटा सन्स की Nomination and Remuneration Committee (NRC) द्वारा चुने गए स्वतंत्र निदेशकों की मंजूरी में उनकी भूमिका बढ़ाई जाए।

रिपोर्ट के अनुसार, ट्रस्टीज ने टाटा सन्स की बोर्ड मीटिंग्स की कार्यवाही (minutes) देखने की अनुमति भी मांगी है। इस कदम से यह सवाल उठ गया है कि क्या इससे टाटा सन्स की स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा।

भूमिकाएं स्पष्ट करने की जरूरत

CNBC-TV18 की रिपोर्ट में कहा गया है कि समूह के कई अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि टाटा ट्रस्ट्स और टाटा सन्स की भूमिकाओं और अधिकारों को स्पष्ट रूप से अलग करना जरूरी है। एक सूत्र ने कहा, ‘टाटा ट्रस्ट्स को टाटा सन्स के साथ तालमेल में काम करना चाहिए। ट्रस्टीज को नोएल टाटा के नेतृत्व को कमजोर नहीं करना चाहिए।’

उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई गुट नोएल टाटा और एन चंद्रशेखरन के बीच टकराव पैदा करने की कोशिश करता है, तो उससे टाटा ग्रुप की एकता और स्थिरता को नुकसान हो सकता है।

10 अक्टूबर की बैठक पर सबकी नजर

एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘स्पष्ट है कि टाटा समूह के भीतर एक संकट है, जिसे जल्द सुलझाना जरूरी है।’

टाटा ट्रस्ट्स की बोर्ड बैठक 10 अक्टूबर को होने वाली है। सूत्रों के मुताबिक, यह बैठक इस बात को तय करने में अहम होगी कि क्या समूह के भीतर सुलह का कोई रास्ता निकल सकता है या नहीं।

तनाव की शुरुआत कैसे हुई

टाटा ट्रस्ट्स के भीतर यह तनाव तब बढ़ा, जब नोएल टाटा ने 11 अक्टूबर 2024 को चेयरमैन का पद संभाला। यह बदलाव रतन टाटा के निधन के बाद हुआ था। उस वक्त रतन टाटा के हाथ में ही टाटा ग्रुप की बागडोर थी।

पूरा विवाद इसी मुद्दे पर केंद्रित है कि टाटा सन्स पर टाटा ट्रस्ट्स किस हद तक नियंत्रण रखे और बोर्ड में मौजूद उसके नामित निदेशक कितनी जानकारी साझा करें।

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