Last Updated on November 9, 2025 17:46, PM by Khushi Verma
Lenskart IPO GMP: Lenskart Solutions Ltd के IPO की लिस्टिंग से पहले ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) में भारी गिरावट देखने को मिली है। लेंसकार्ट का लेटेस्ट GMP अपने हाई लेवल से 100 प्रतिशत क्रैश होकर 0 पर आ गया है।
मार्केट ऑब्जर्वर्स के मुताबिक, आईवियर रिटेलर Lenskart की ₹402 प्रति शेयर पर फ्लैट लिस्टिंग हो सकती है। Lenskart का GMP सब्सक्रिप्शन ओपनिंग डे (31 अक्टूबर) को ₹95 के रिकॉर्ड हाई पर था। हालांकि, यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि GMP सिर्फ अनधिकृत बाजार में शेयर की डिमांड का संकेत होता है। असल लिस्टिंग प्राइस इससे अलग हो सकती है।
IPO को मिला था जबरदस्त रिस्पॉन्स
Lenskart Solutions IPO को निवेशकों की तरफ से भारी मांग मिली और यह 28.26 गुना सब्सक्राइब हुआ। सबसे ज्यादा मांग QIB कैटेगरी में रही, जो 40.35 गुना बुक हुई। इसमें विदेशी और घरेलू फंड हाउसेस के साथ-साथ म्यूचुअल फंड्स की मजबूत हिस्सेदारी रही।
NII कैटेगरी 18.23 गुना सब्सक्राइब हुई, जिसमें HNI निवेशकों ने 21.81 गुना बिड लगाई और छोटे NIIs ने 11.06 गुना। रिटेल निवेशकों ने भी दमदार दिलचस्पी दिखाई और allotted हिस्से का 7.54 गुना सब्सक्रिप्शन किया। कर्मचारी कोटा 4.96 गुना सब्सक्राइब हुआ। कुल मिलाकर IPO में 9.97 करोड़ शेयरों के मुकाबले 281 करोड़ से ज्यादा शेयरों की बिड मिली।
लेंसकार्ट IPO के GMP क्रैश की वजह
1. वैल्यूएशन का बहुत ज्यादा होना: Lenskart IPO लगभग ₹70,000 करोड़ के वैल्यूएशन पर आया। इतनी ऊंची कीमत देखकर कई निवेशकों को लगा कि कमाई के मुकाबले वैल्यूएशन भारी है। इसलिए ग्रे मार्केट में उत्साह कम हुआ।
2. लिस्टिंग गेन की उम्मीद कमजोर पड़ना: शुरुआती दिनों में GMP काफी मजबूत था, लेकिन बाद में लगातार गिरता गया। इसका मतलब था कि मार्केट को लिस्टिंग पॉप मिलने की उम्मीद नहीं रही, इसलिए ट्रेडर्स पीछे हटने लगे।
3. IPO में बड़ा हिस्सा OFS का: Lenskart के IPO में बड़ी मात्रा में OFS (Offer for Sale) था यानी कंपनी को पैसा नहीं मिल रहा, बल्कि पुराने निवेशक अपनी हिस्सेदारी बेच रहे थे। इससे नए निवेशकों को लगा कि ग्रोथ में कंपनी की जरूरत कम है।
4. मार्केट सेंटिमेंट ठंडा होना: पिछले कुछ IPO की लिस्टिंग उम्मीद से कमजोर रही थी। साथ ही, AI बबल फूटने जैसी खबरों से दुनियाभर के बाजारों में गिरावट दिखी। इससे बाजार का सेटिंमेंट कमजोर हुआ, जिसका असर लेंसकार्ट के GMP पर भी दिखा।
5. बिजनेस मॉडल को लेकर चिंताएं: Lenskart के लिए विदेशी विस्तार, स्टोर मॉडल और प्रॉफिटेबिलिटी को लेकर सवाल बने हुए थे। साथ ही, चश्मे को ऐसा प्रोडक्ट माना गया, जिसे लोग कई साल में एकाध बार ही चेंज करते हैं। इससे GMP पर दबाव बढ़ा
Lenskart का बिजनेस क्या है?
2010 में स्थापित Lenskart एक ऑनलाइन आईवियर प्लेटफॉर्म से शुरू हुआ और अब भारत की प्रमुख ओम्नीचैनल आईवियर ब्रांड बन चुका है, जिसकी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगह मजबूत मौजूदगी है। Tracxn डेटा के मुताबिक, सितंबर 2025 तक कंपनी का वैल्यूएशन $6.1 बिलियन था।
जून 2025 में कंपनी ने अपना हुलिया बदलकर पब्लिक लिमिटेड कंपनी का दर्जा लिया और नाम बदलकर Lenskart Solutions Limited कर लिया, जो 30 मई को हुई EGM के बाद लागू हुआ।