Last Updated on November 19, 2025 19:40, PM by Pawan
अमेरिका शेयर मार्केट में गिरावट के चलते दुनिया के अधिकतर शेयर बाजार पिछले कुछ दिनों से दबाव में है। हालांकि इसके बावजूद भारतीय शेयर मार्केट मजबूत बने हुए हैं। सेंसेक्स और निफ्टी में 10 नवंबर से 17 नवंबर तक लगातार छह दिनों तक तेजी देखने को मिली और इस दौरान दोनों इंडेक्स 2% से अधिक चढ़े। वहीं अमेरिकी बाजारों में इसी अवधि में लगातार गिरावट देखी गई। आज बुधवार 19 नवंबर को भी भारतीय शेयर बाजार 0.61% की बढ़त के साथ बंद हुए, जो बताता है कि भारतीय शेयर मार्केट पर इस ग्लोबल उतार-चढ़ाव का सीमित असर पड़ रहा है?
1. भारतीय शेयर बाजार पर क्यों नहीं दिख रहा असर?
अमेरिका समेत दुनिया भर के शेयर बाजारों में हालिया गिरावट का कारण आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) से जुड़ी कंपनियां रही हैं। Nvidia, Microsoft, Amazon, Alphabet और Meta जैसी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) से जुड़ी दिग्गज कंपनियों के शेयरों में हाल ही में भारी गिरावट आई है। इसके चलते S&P 500 दबाव में आ गए।
लेकिन भारतीय बाजार पर इसका बड़ा असर नहीं दिखा क्योंकि भारत में Nvidia जैसी हाई-वैल्यूएशन वाली AI कंपनियां लिस्टेड नहीं हैं। भारत की अधिक IT कंपनियों के कारोबार का आधार AI प्रोडक्ट नहीं, बल्कि सर्विस-आधारित एक्सपोर्ट है। इसके चलते AI शेयरों में गिरावट का सीधा झटका भारतीय बाजारों पर नहीं दिखा। यह स्ट्रक्चरल अंतर भारतीय बाजार को नैचुरल सुरक्षा मुहैया कराता है।
2. डायवर्सिफिकेशन के लिए भारत आ रहे विदेशी निवेशक?
कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि दुनिया में AI शेयरों से जुड़ा ट्रेंड कमजोर पड़ रहा है और इससे भारतीय शेयर बाजार को फायदा हो सकता है। जैसे-जैसे अमेरिका में AI शेयर गिर रहे हैं, वैसे-वैसे विदेशी निवेशक दोबारा भारतीय बाजार में खरीदारी बढ़ा सकते हैं। भारतीय बाजार का प्रदर्शन दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे दूसरे देशों की तुलना में बेहतर है।
3. वैल्यूएशन में गिरावट
निफ्टी पिछले साल 27 सितंबर को 26,277 की रिकॉर्ड ऊंचाई छूने के बाद 17% तक गिर गया था, जिससे उसके वैल्यूएशन कई ग्लोबल मार्केट्स की तुलना में अधिक आकर्षक बन गए थे। MSCI India Index में इस साल सिर्फ 6% तेजी आई है, जबकि अमेरिका और कई इमर्जिंग देश 30–35% तक का रिटर्न दे चुके हैं। इसका मतलब यह है कि भारतीय बाजार में “स्पेकुलेटिव गेन” का जोखिम कम है, इसलिए गिरावट की संभावना भी कम है।
इसी वजह से विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी धीरे-धीरे लौट रही है। भारत में मजबूत बैंकिंग सिस्टम, स्थिर नीतियां और बेहतर अर्निंग्स विजिबिलिटी ने बड़े निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है।
4. SIP और घरेलू निवेशक बने भारतीय बाजार की सबसे बड़ी ताकत
इस समय भारतीय बाजार के लचीलेपन का सबसे बड़ा कारण घरेलू निवेशकों की मजबूत भागीदारी है। SIP के जरिए बजारा में आने वाला निवेश ऐतिहासिक स्तर पर है और रिटेल निवेशक हर गिरावट पर खरीदारी कर रहे हैं। यही वजह है कि FPI की बिकवाली भी बाजार को ज्यादा नहीं गिरा पा रही।
2025 में अधिकतर विदेशी निवेशक अमेरिका के AI स्टॉक्स में निवेश कर रहे थे, जिससे भारत से पैसा निकल रहा था। लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशकों और रिटेल निवेशकों ने भारी खरीदारी करके इस दबाव को पूरी तरह से संभाल लिया। इसके साथ ही, ऑटो और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसी कैटेगरी में मजबूत मांग, फेस्टिव सीजन की मजबूती और GST कट की उम्मीदों ने बाजार को और सपोर्ट दिया।
कुल मिलाकर जब दुनिया AI बुलबुले की चिंता में डूबी है और अमेरिकी शेयर बाजार दबाव में हैं, तब भारत का शेयर बाजार घरेलू मांग, मजबूत रिटेल निवेश, आकर्षक वैल्यूएशन और स्थिर आर्थिक आधार के दम पर मजबूती दिखा रहा है।
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