Last Updated on November 22, 2025 23:36, PM by Pawan
सरकार इंश्योरेंस सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की लिमिट बढ़ाने जा रहा ही। अभी इस सेक्टर में एफडीआई की लिमिट 74 फीसदी है। सरकार इसे बढ़ाकर 100 फीसदी करेगी। इसके लिए संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार बिल पेश करेगी।
संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू होगा। यह 19 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही कुल 15 दिनों तक चलेगी। पीटीआई ने लोकसभा बुलेटिन के हवाले से बताया है कि इंश्योरेंस लॉज (अमेंडमेंट) बिल 2025 उन उन 10 विधेयकों में शामिल है, जिन्हें सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करेगी।
इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई की लिमिट 100 फीसदी होने से देश में इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स की पहुंच बढ़ेगी। विदेशी इंश्योरेंस कंपनियां इंडियन मार्केट में दिलचस्पी दिखाएंगी। अभी दुनिया के विकसित देशों के मुकाबले इंडिया में आबादी के काफी कम हिस्से की पहुंच इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स तक है। विदेशी इंश्योरेंस कंपनियों के इंडिया आने से मार्केट में प्रतियोगिता बढ़ेगी, जिसका फायदा ग्राहकों को मिलेगा।
फाइनेंस मिनिस्ट्री ने इंश्योरेंस एक्ट, 1938 में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें एफडीआई की लिमिट बढ़ाकर 100 फीसदी करने, पेड-अप कैपिटल की रिक्वायरमेंट में कमी लाने और कंपोजिट लाइसेंस की शुरुआत करने के प्रस्ताव शामिल हैं। सरकार का लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन एक्ट, 1956 और इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी एक्ट, 1999 में भी संशोधन का प्लान है। एआईसी एक्ट में संशोधन से एलआईसी के बोर्ड के अधिकार बढ़ जाएंगे।
एलआईसी बोर्ड के अधिकार बढ़ने से वह ऑपरेशन से जुड़े कई बड़े फैसले ले सकेगा। इनमें ब्रांच की संख्या बढ़ाने और रिक्रूटमेंट जैसे फैसले शामिल होंगे। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल पेश यूनियन बजट में इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई की लिमिट बढ़ाकर 100 फीसदी करने का प्रस्ताव पेश किया था। उन्होंने कहा था कि सरकार नई पीढ़ी के फाइनेंशियल रिफॉर्म्स के तहत ऐसा करेगी। अब तक इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई के जरिए 82,000 करोड़ रुपये का निवेश आया है।
फाइनेंस मिनिस्ट्री सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल (एसएमसी), 2025 भी पेश करेगी। इससे सेबी एक्ट 1992, डिपॉजिटरी एक्ट 1996 और सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) एक्ट 1956 की जगह सिर्फ एक सिक्योरिटीज मार्केट कोड होगा। इसके अलावा मिनिस्ट्री शीतकालीन सत्र में 2025-26 के लिए सप्लिमेंटरी डिमांड्स फॉर ग्रांट भी पेश करेगी। इससे सरकार को बजट के बाहर अतिरिक्त खर्च करने की इजाजत संसद से मिलेगी।