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Zomato और Swiggy नए लेबर कोड पर धड़ाम, लेकिन ब्रोकरेजेज के इस रुझान पर लौटे निवेशक

Zomato और Swiggy नए लेबर कोड पर धड़ाम, लेकिन ब्रोकरेजेज के इस रुझान पर लौटे निवेशक

Last Updated on November 24, 2025 14:17, PM by Pawan

नए लेबर कोड्स (New Labour Codes) के लागू होने पर आज ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म जोमैटो (Zomato) की पैरेंट कंपनी एटर्नल (Eternal) और स्विगी (Swiggy) के शेयरों में बिकवाली का दबाव दिखा। इस दबाव में एटर्नल और स्विगी के शेयर शुरुआती कारोबार में 2% तक टूट गए। यह गिरावट प्लेटफॉर्म कंपनियों के लिए ऑपरेटिंग कॉस्ट बढ़ने की आशंका पर आई। हालांकि जब ब्रोकरेज फर्मों ने कहा कि लॉन्ग टर्म में इसका वित्तीय असर सीमित ही रहेगा तो निवेशक लौटे और निचले स्तर से शेयरों ने 2% तक रिकवरी की।

फिलहाल बीएसई पर यह 0.20% की बढ़त के साथ इंट्रा-डे में ₹302.65 (Eternal Share Price) पर है। इससे पहले इंट्रा-डे में यह 2.07% टूटकर ₹295.80 तक फिसल गया था जिससे यह 2.50% उछलकर ₹303.20 के भाव तक पहुंच गया था। वहीं स्विगी की बात करें तो फिलहाल यह 0.86% की बढ़त के साथ ₹398.05 (Swiggy Share Price) पर है। इंट्रा-डे में यह 0.16% टूटकर ₹394.00 तक आ गया था जिससे यह 1.95% उछलकर ₹401.70 तक पहुंच गया था।

Zomato की Eternal और Swiggy पर सीमित असर?

सरकार ने नए लेबर फ्रेमवर्क को गिग, माइग्रेंट, अनऑर्गेनाइज्ड और प्लेटफॉर्म-इकॉनमी वर्कर्स के लिए रोजगार को औपचारिक करने, सोशल सिक्योरिटी का दायरा बढ़ाने और उन्हें मजबूत करने की कोशिशों के तहत पेश किया है। ब्रोकरेज फर्मों ने सरकार के नए कानूनों के तहत गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए अनिवार्य सोशल-सिक्योरिटी कॉन्ट्रिब्यूशंस के फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स कंपनियों की लागत पर असर की गणना की। एनालिस्ट्स का कहना है कि नए बदलावों को अपनाने के लिए कंपनियों की स्ट्रैटेजी के तहत डिलीवरी फीस में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है।

ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनले का कहना है कि रिफॉर्म से गिग वर्कर्स की लागत बढ़ सकती है और नियर टर्म सेंटिमेंट पर असर दिख सकता है। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि गिग वर्कर वेलफेयर फंड में एग्रीगेटर्स को रेवेन्यू का 1-2% देना होगा जोकि फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स में प्रति ऑर्डर ₹1.5-₹2.5 आ रहा है। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि नए लेबर कोड्स का एडजस्टेड ऑपरेटिंग प्रॉफिट पर 4-10% का असर दिख सकता है। हालांकि मॉर्गन स्टैनले का यह भी कहना है कि यह एक्स्ट्रा लागत आएगी, वह प्लेटफॉर्म, वर्कर्स और कंज्यूमर्स के बीच बंटेगा तो कंपनी के मार्जिन पर इसका असर हल्का होगा। जोमैटो और स्विगी का भी कहना है कि नए कानूनों का लॉन्ग टर्म में उनके बिजनेस पर अधिक असर नहीं दिखने के आसार हैं।

सीएलएसए का अनुमान है कि स्विगी और जोमैटो को हर ऑर्डर पर करीब ₹1 का नेट इंपैक्ट पड़ेगा। ब्रोकरेज फर्म को उम्मीद है कि इसे कंज्यूमर्स पर धीरे-धीरे डाला जाएगा और चूंकि दोनों ही कंपनियां पहले से ही अपने एंप्लॉयीज को कुछ सोशल-सिक्योरिटी बेनेफिट्स दे रही हैं तो जो नए कानूनों के चलते बढ़ा बोझ हल्का होना चाहिए।

एक और ब्रोकरेज फर्म बर्न्स्टीन का मानना है कि नए लेबर कोड के चलते स्विगी और जोमैटो के एडजस्टेड ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन को 25-65 बेसिस प्वाइंट्स और क्विक कॉमर्स मार्जिन को 60-70 बीपीएस का झटका लग सकता है जोकि यूनिट इकनॉमिक्स में मैनेज होने लायक है।

डिस्क्लेमर:  दिए गए सलाह या विचार एक्सपर्ट/ब्रोकरेज फर्म के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदायी नहीं है। यूजर्स को सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले हमेशा सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।

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