Last Updated on November 25, 2025 15:23, PM by Pawan
केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के लिए टर्म्स ऑफ रेफरेंस (TOR) को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली यूनियन कैबिनेट ने पिछले महीने यह फैसला लिया। इससे करीब 50 लाख सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉई और 65 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा। नई सिफारिशें लागू होने तक डीयरनेस अलाउंस (DA) का हाइक जारी रहेगा।
आगे DA को बेसिक पे का हिस्सा बनाया जाएगा, जिससे सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव आएगा। यह खबर उन लाखों कर्मचारियों के लिए राहत वाली है जो महंगाई से जूझ रहे हैं। आयोग की सिफारिशों से सैलरी और पेंशन में इजाफा होगा, लेकिन अभी DA ही मुख्य सहारा बनेगा। आइए पूरी डिटेल समझते हैं…
सैलरी-पेंशन और अलाउंस रिवाइज होगा
8वें सेंट्रल पे कमीशन का मकसद सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉई की सैलरी, पेंशन और अलाउंस को रिवाइज करना है। इसमें महंगाई, एम्प्लॉई की जरूरतें और गवर्नमेंट की अफोर्डेबिलिटी को ध्यान में रखा जाएगा। कैबिनेट ने टॉर्म्स ऑफ रेफरेंस (TOR) को अप्रूव कर दिया है, जो आयोग के कामकाज की रूपरेखा तय करता है।
पिछले महीने लिया गया यह फैसला 7वें पे कमीशन के बाद आया है। 7वें कमीशन की सिफारिशें 2016 से लागू हैं, जो DA को बेसिक पे के आधार पर कैलकुलेट करती हैं। अब 8वां आयोग नया स्ट्रक्चर लाएगा। हालांकि अभी इसकी कोई ऑफिशियल डेडलाइन नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही काम शुरू हो जाएगा।
8वें आयोग से DA हाइक पर क्या असर?
8वां वेतन आयोग लागू होने तक DA हाइक रुकने वाला नहीं है। यह बेसिक पे का परसेंटेज बेस्ड रहेगा। जनवरी और जुलाई में हर छह महीने बाद रिव्यू होगा, जो इन्फ्लेशन पर आधारित होगा। अक्टूबर में गवर्नमेंट ने 3% DA हाइक का ऐलान किया था। यह हाइक 7वें पे कमीशन पर ही बेस्ड है।
आयोग आने पर मौजूदा DA को बेसिक पे में मर्ज कर दिया जाएगा। इससे सैलरी के कंपोनेंट्स, अलाउंस और रिटायरमेंट बेनिफिट्स रीकैलिब्रेट होंगे। मतलब DA अलग से नहीं मिलेगा, बल्कि बेसिक सैलरी का हिस्सा बन जाएगा। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इससे लॉन्ग टर्म में फायदा होगा।

DA मर्जर से सैलरी ओवरहॉल होगा
क्लियर टैक्स की टैक्स एक्सपर्ट CA चंदनी आनंदन का कहना है कि 8वां पे कमीशन लागू होने तक DA बेसिक पे का परसेंटेज ही रहेगा। यह हर साल जनवरी-जुलाई में इन्फ्लेशन के आधार पर रिवाइज होगा।
आयोग आने पर करंट DA को बेसिक पे में मर्ज कर नया स्ट्रक्चर बनेगा। DA अलग अलाउंस की बजाय बेस सैलरी का पार्ट बनेगा, जिससे अलाउंस और बेनिफिट्स में बदलाव आएगा। DA हाइक तुरंत राहत देता है, लेकिन आयोग से बड़ा ओवरहॉल होगा। गवर्नमेंट एम्प्लॉई यूनियंस भी इसी की डिमांड कर रही हैं।
सैलरी-पेंशन में कितना इजाफा होगा
8वें आयोग की सिफारिशों से सैलरी, HRA (हाउस रेंट अलाउंस), TA (ट्रांसपोर्ट अलाउंस) और अन्य बेनिफिट्स में बढ़ोतरी की उम्मीद है। करीब 50 लाख सेंट्रल एम्प्लॉई को फायदा मिलेगा, जिसमें डिफेंस पर्सनल भी शामिल हैं। डिफेंस रिटायर्स सहित 65 लाख पेंशनर्स को भी पेंशन में इजाफा मिलेगा।
पहले सैलरी का 65% बेसिक पे होता था, अब यह 50% के आसपास है। बाकी अलाउंस पर शिफ्ट हो गया है। DA महंगाई एडजस्टमेंट है, जो परचेजिंग पावर बनाए रखता है। आयोग से मर्जर के बाद बेसिक पे बढ़ेगा, जिससे ओवरऑल इनकम ऊपर जाएगी।
नया आयोग कब लागू होगा
आयोग की सिफारिशें कब लागू होंगी, इसकी कोई फिक्स्ड डेट नहीं। लेकिन पिछले कमीशंस को देखें तो 1 जनवरी से इफेक्टिव होने की संभावना है। गवर्नमेंट को अफोर्डेबिलिटी चेक करनी होगी। वहीं इन्फ्लेशन कंट्रोल और बजट पर निर्भर करेगा।
एम्प्लॉई यूनियंस जल्द ही 8वें आयोग के इंप्लीमेंटेशन की मांग कर रही हैं। अगर सब ठीक रहा तो 1 जनवरी 2026 में नया सैलरी स्ट्रक्चर लागू हो सकता है। तब तक DA हाइक से ही काम चलेगा।
समझिए 8वें वेतन मान का सैलरी कैलकुलेशन
बेसिक सैलरी में कितनी बढ़ोतरी होगी, ये फिटमेंट फैक्टर और DA मर्जर पर निर्भर करता है। 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था। 8वें में ये 2.46 हो सकता है।
हर वेतन आयोग में DA जीरो से शुरू होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि नई बेसिक सैलरी पहले से ही महंगाई को ध्यान में रखकर बढ़ाई जाती है। इसके बाद DA फिर से धीरे-धीरे बढ़ता है।
अभी DA बेसिक पे का 58% है। DA के हटने से टोटल सैलरी (बेसिक + DA + HRA) में बढ़ोतरी थोड़ी कम दिख सकती है, क्योंकि 58% DA का हिस्सा हट जाएगा।
उदाहरण:
मान लीजिए, आप लेवल 6 पर हैं और 7वें वेतन आयोग के हिसाब से आपकी मौजूदा सैलरी है:
- बेसिक पे: ₹35,400
- DA (58%): ₹20,532
- HRA (मेट्रो, 27%): ₹9,558
- टोटल सैलरी: ₹65,490
8वें वेतन आयोग में अगर फिटमेंट 2.46 लागू होता है, तो नई सैलरी होगी:
- नई बेसिक पे: ₹35,400 x 2.46 = ₹87,084
- DA: 0% (रीसेट)
- HRA (27%): ₹87,084 x 27% = ₹23,513
- टोटल सैलरी: ₹87,084 + ₹23,513 = ₹1,10,597
फिटमेंट फैक्टर क्या है?
ये एक मल्टीप्लायर नंबर है, जिसे मौजूदा बेसिक सैलरी से गुणा करके नई बेसिक सैलरी निकाली जाती है। वेतन आयोग इसे महंगाई और लिविंग कॉस्ट को ध्यान में रखकर तय करता है।
8वें वेतन आयोग का फायदा किसे मिलेगा किसे नहीं
- फायदा मिलेगा: केंद्रीय सरकारी कर्मचारी, रक्षा कर्मी, रेलवे कर्मचारी, केंद्रीय संस्थानों के शिक्षक, 100% सरकारी स्वामित्व वाले पीएसयू, पेंशनर्स
- फायदा नहीं: राज्य सरकार के कर्मचारी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारी, RBI और अन्य नियामक संस्थाओं के कर्मचारी, बैंक पेंशनर्स
राज्य अपने अलग पे कमीशन गठित करते हैं, जो संशोधन के बाद केंद्रीय सिफारिशों को अपनाते हैं। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों को वेतन आयोग का लाभ नहीं मिलता क्योंकि वे भारतीय बैंक संघ (IBA) के साथ द्विपक्षीय समझौतों पर निर्भर रहते हैं।
पिछले वेतन आयोग कब बने, कब लागू हुए?
- 5वां वेतन आयोग: ये अप्रैल 1994 में गठित हुआ था। रिपोर्ट जनवरी 1997 में सरकार को सौंपी गई, लेकिन सिफारिशें 1 जनवरी 1996 से ही लागू हो गईं। पहले 51 पे स्केल्स थे, इन्हें घटाकर 34 कर दिया।
- छठा वेतन आयोग: ये 20 अक्टूबर 2006 को स्थापित हुआ रिपोर्ट मार्च 2008 में तैयार होकर सरकार के पास पहुंची। अगस्त 2008 में रिपोर्ट को मंजूरी मिली और सिफारिशें 1 जनवरी 2006 से लागू हुईं।
- 7वां वेतन आयोग: फरवरी 2014 में ये बना और मार्च 2014 तक टर्म्स ऑफ रेफरेंस फाइनल हो गए। रिपोर्ट नवंबर 2015 में सौंपी गई। जून 2016 में सरकार ने अप्रूव किया और सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू हो गईं।

केंद्रीय मंत्री बोले- इंटरिम रिपोर्ट में लागू होने की तारीख आएगी
केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि पे कमीशन के इम्प्लीमेंटेशन के नॉर्म्स पहले से ही लगभग तय होते हैं, लेकिन फॉर्मल तरीका यह है कि इंटरिम रिपोर्ट आएगी, जिसमें वेतनमान के लागू होने की जानकारी होगी। पूरी उम्मीद है कि ये 1 जनवरी 2026 से ही लागू होगा।
ये कमीशन अपनी सिफारिशें गठन की तारीख से 18 महीने के अंदर देगा। जरूरत पड़ने पर, ये किसी भी मुद्दे पर सिफारिशें फाइनल होते ही इंटरिम रिपोर्ट्स भेजने पर विचार कर सकती है।
कमीशन जब सैलरी-पेंशन की सिफारिशें बनाएगा, तो ये 5 बातें ध्यान में रखेगा…
- कमीशन देखेगा कि देश की इकॉनमी कैसी चल रही है। महंगाई कितनी, GDP ग्रोथ क्या है। उतनी ही सैलरी बढ़ाए कि सरकार का खर्चा कंट्रोल में रहे, वरना कर्ज बढ़ेगा।
- सैलरी बढ़ाने से सरकार के पास विकास के लिए पैसे कम न हो जाएं। जैसे सड़कें, स्कूल, हॉस्पिटल बनाना या गरीबों की योजनाएं चलाना।
- ये उन पेंशन स्कीम्स को ध्यान में रखना होगा, जहां कर्मचारी पैसे नहीं कटवाते (नॉन-कॉन्ट्रीब्यूटरी)। यानी, पुरानी पेंशन स्कीम्स से सरकार पर बोझ न बढ़े।
- केंद्र की सिफारिशें ज्यादातर राज्य सरकारें थोड़ा मॉडिफाई करके अपना लेती हैं। कमीशन राज्यों के बजट को ध्यान में रखकर ही सैलरी बढ़ाएगा।
- सरकारी कंपनियों और प्राइवेट फर्म्स में कर्मचारियों को क्या सैलरी सेटअप, बोनस, और काम की कंडीशंस मिल रही हैं। ताकि सरकारी सैलरी इनसे मैच करे।
सैलरी सिस्टम, पेंशन जैसे मुद्दों पर विचार करता है कमीशन
सेंट्रल पे कमीशन को हर कुछ सालों में बनाया जाता है, ताकि सैलरी सिस्टम, पेंशन जैसे मुद्दों पर विचार किया जा सके। ये कमीशन देखता है कि क्या बदलाव जरूरी हैं और फिर सिफारिशें देता है। आम तौर पर, इन सिफारिशों को हर दस साल बाद लागू किया जाता है। इसी पैटर्न के हिसाब से 8वें सेंट्रल पे कमीशन की सिफारिशें भी 1 जनवरी 2026 से लागू होने की उम्मीद है।