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Curefoods IPO: क्या हैं क्योरफूड्स का बिजनेस मॉडल, स्ट्रेंथ और कमजोरियां?

Curefoods IPO: क्या हैं क्योरफूड्स का बिजनेस मॉडल, स्ट्रेंथ और कमजोरियां?

Last Updated on July 8, 2025 16:54, PM by

क्योरफूड्स 800 करोड़ रुपये का आईपीओ पेश करने की तैयारी में है। यह कंपनी क्लाउड किचन सर्विस देती है। इटफिट, केकजोन और क्रिस्पी क्रीम इसके ब्रांड्स हैं। इस आईपीओ में ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) शामिल होगा। साथ ही कंपनी नए शेयर भी इश्यू करेगी। इससे जो पैसा आएगा, उसका इस्तेमाल कंपनी कर्ज चुकाने और अपने बिजनेस के विस्तार के लिए करेगी। ओएफएस के तहत कई प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी बेचेंगे।

हिस्सेदारी बेचने वाले प्रमोटर्स में Iron Pillar, Crimson Winter, Accel, Chiratae Ventures, Curefit और कुछ अन्य प्रमोटर्स शामिल हैं। CureFoods के फाउंडर अंकित नागौरी अपने शेयर नहीं बेचेंगे। सबसे ज्यादा 1.91 करोड़ शेयर Iron Pillar PCC बेचेगी। क्योरफिट हेल्थकेयर अपने सिर्फ 12.8 लाख शेयर बेचेगी। इसकी शुरुआत मुकेश बंसल और अंकित नागौरी ने की थी।

यह आईपीओ Iron Pillar के लिए सबसे ज्यादा प्रॉफिट लेकर आएगा। वेटेड एवरेज एक्विजिशन प्राइस के आधार पर इसे Accel और Chiratae के मुकाबले 2.6 गुना ज्यादा वैल्यूएशन पर एक्जिट करने का मौका मिलेगा। अभी इस आईपीओ में शेयरों के प्राइस बैंड की जानकारी सामने नहीं आई है। लेकिन, कंपनी की शुरुआत में इनवेस्ट करने वाले इनवेस्टर्स को अच्छा मुनाफा हो सकता है।

Curefoods की सबसे बड़ी दिक्कत एंप्लॉयीज का एट्रिशन रेट रही है। FY25 में 111.73 फीसदी था। इससे पहले के सालों में भी यह इसी लेवल के आसपास रहा है। इसका मतलब है कि कंपनी में पुराने स्टाफ से ज्यादा नए स्टाफ की भर्ती करती रही है। इस साल मार्च के अंत में कंपनी में 5,641 पर्मानेंट एंप्लॉयीज थे। 376 कॉन्ट्रैक्चुअल और 265 कंसल्टेंट्स और इनटर्न थे। दूसरा बड़ा रिस्क यह है कि थर्ड पार्टी प्लेटफॉर्म पर कंपनी की काफी ज्यादा निर्भरता है।

क्योरफूड्स का 82 फीसदी रेवेन्यू FY25 में Swiggy और Zomato जैसे डिलीवरी चैनल से आया। इससे पहले के सालों में डिलीवरी चैनल्स पर क्योरफूड्स की निर्भरता और ज्यादा थी। अगर इन डिलीवरी चैनल्स की पॉलिसी में कोई बदलाव होता है तो इसका सीधा असर क्योरफूड्स के रेवेन्यू और मार्जिन पर पड़ेगा। यह इसलिए भी अहम है, क्योंकि कंपनी को डिलीवरी चैनल्स को 18-22 फीसदी कमीशन देना पड़ता है। यह कंपनी काफी ज्यादा कैश खर्च कर रही है। FY25 में इसका कुल खर्च 944 करोड़ रुपये था, जबकि रेवेन्यू 746 करोड़ रुपये था।

इस आईपीओ से कंपनी को जो पैसे मिलेंगे, उसमें से 152.5 करोड़ रुपये का इस्तेमाल यह नए क्लाउड किचन शुरू करने के लिए करेगी। साथ ही कुछ पैसा इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार पर भी खर्च होगा। 126.9 करोड़ रुपये का इस्तेमाल यह कर्ज चुकाने के लिए करेगी। 40 करोड़ रुपये लीज रेंटल और सिक्योरिटी डिपॉजिट्स पर खर्च होंगे। FY23 से FY25 के बीच कंपनी का रेवेन्यू 382 करोड़ रुपये से बढ़कर 746 करोड़ रुपये हो गया। लेकिन, प्रॉफिट अभी दूर है।

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