Markets

टैरिफ के चलते आ सकती है ग्लोबल मंदी, फार्मा शेयरों को लेकर रहें सतर्क – राइट होराइजन्स के अनिल रेगो

टैरिफ के चलते आ सकती है ग्लोबल मंदी, फार्मा शेयरों को लेकर रहें सतर्क – राइट होराइजन्स के अनिल रेगो

Last Updated on September 27, 2025 11:44, AM by Khushi Verma

आगे की निवेश रणनीति पर बात करते हुए राइट होराइजंस पीएमएस के फाउंडर और फंड मैनेजर अनिल रेगो ने कहा कि ब्रांडेड और पेटेंटेड फार्मा दवाओं पर ट्रंप टैरिफ के बाद वे अरबिंदो फार्मा जैसी भारी अमेरिकी-एक्सपोजर वाली कंपनी को लेकर सतर्क रहने के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि वर्तमान अमेरिकी एलानों को अलावा भी अगर अमेरिका की तरफ से और सख्ती की जाती है तो फार्मा सेक्टर में बड़े बुनियादी बदलाव हो सकते हैं।

उनका मानना ​​है कि ग्लोबल आर्थिक उथल-पुथल अक्सर बाज़ार की उम्मीद से ज़्यादा लंबे समय तक बनी रहती है। मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अमेरिका-चीन ट्रेडवार की संभावना ग्लोबल सप्लाई चेन को नया आकार दे रही है, जिससे भारत के लिए चुनौतियां और अवसर दोनों पैदा हो रहे हैं। उनका कहना है कि भारत को सप्लाई चेन में डाइवर्सिफिकेशन से फायदा हो सकता है, लेकिन हमें व्यापक ग्लोबल मंदी के प्रभाव को कम करके नहीं आंकना चाहिए।

1 अक्टूबर से लागू होने वाला ब्रांडेड और पेटेंटेड फार्मा दवाओं पर ट्रंप द्वारा लगाया गया 100 फीसदी टैरिफ,अमेरिकी बाज़ार से 30-50 फीसदी रेवेन्यू हासिल करने वाली भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए भारी अनिश्चितता पैदा कर रहा है। हालांकि इसका तात्कालिक असर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लीडरशिप वाली ब्रांडेड दवाओं पर पड़ेगा। लेकिन इसका असर जटिल जेनेरिक दवाओं तक भी हो सकता है। इस सेगमेंट डॉ. रेड्डीज़ और सन फार्मा जैसी भारतीय कंपनियों की मज़बूत पैठ है।

भारत अमेरिका की 45 फीसदी जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करता है। वित्त वर्ष 2024 में अमेरिका भारत के लिए 8.7 बिलियन डॉलर का सबसे बड़ा फार्मा निर्यात बाजार रहा। वर्तमान अमेरिकी एलानों को अलावा भी अगर अमेरिका की तरफ से और सख्ती की जाती है तो फार्मा सेक्टर में बड़े बुनियादी बदलाव हो सकते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में भारी एक्सपोजर के चलते अरबिंदो फार्मा (रेवेन्यू में 48% हिस्सेदार अमेरिकी कारोबार से) को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। फार्मा में उन्हीं कंपनियों पर फोकस करें जिनकी अमेरिका में उत्पादन ईकाइयां हैं और जो अमेरिका के अलावा दूसरे देशों में भी अच्छी पैठ रखती हों।

भारत के ग्रोथ से जुड़ी संभावनाओं पर बात करते हुए अनिल रेगो ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 के विकास दर को लेकर चुनौतियां नजर आ रही है। RBI ने इस अवधि के लिए 6.5 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया है। वहीं, S&P ग्लोबल ने वित्त वर्ष 2026 का पूर्वानुमान घटाकर 6.7 फीसदी और वित्त वर्ष 2027 के लिए ग्रोथ का अनुमान 6.8 फीसदी कर दिया है।

हालांकि घरेलू उपभोग पैटर्न में मजबूती है। मध्यम अवधि की ग्रोथ दर 6.5-7 फीसदी के आसपास स्टेबल हो रही है,जो स्पष्ट रूप से हमारी डेमोग्रॉफिक डिविडेंट जरूरतों के लिए पर्याप्त नहीं है। बड़ी बात यह होगी कि हम 7 फीसदी से अधिक की ग्रोथ रेट बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचे पर होने वाले खर्च और मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता का कितना प्रभावी ढंग से फायदा उठा पाते हैं। अनिल रेगो ने कहा कि वे सतर्कता के साथ उम्मीद बनाए हुए हैं, लेकिन उनका मानना ​​है कि 7 फीसदी से ज्यादा की मजबूत ग्रोथ के लिए केवल सिक्लिकल रिकवरी के बजाय ढ़ांचातग सुधारों की जरूर है।

 

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top