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इक्विटी और कमोडिटी मार्केट में क्या होते हैं खास 5 अंतर, निवेश से लेकर ट्रेड तक, हर पहलू को समझिए | Zee Business

इक्विटी और कमोडिटी मार्केट में क्या होते हैं खास 5 अंतर, निवेश से लेकर ट्रेड तक, हर पहलू को समझिए | Zee Business

Last Updated on October 8, 2025 19:13, PM by Pawan

भारत के निवेश और ट्रेडिंग को दो बड़ी ताकतें आकार देती हैं- इक्विटी मार्केट और कमोडिटी मार्केट. दोनों ही निवेशकों और ट्रेडर्स को अवसर देती हैं, लेकिन इन दोनों की प्रकृति पूरी तरह अलग है. समझना जरूरी है कि इनमें कैसे अंतर है, ताकि सही निवेश और ट्रेडिंग निर्णय लिए जा सकें.

सबसे बड़ा फर्क क्या है?

सबसे बड़ा फर्क है कि आप किस चीज़ में निवेश कर रहे हैं. इक्विटी मार्केट में निवेश मतलब कंपनियों के शेयर खरीदना. यह शेयर आपको कंपनी का हिस्सा बनाता है. यानी आप उसके मुनाफे, संपत्ति और कई मामलों में वोटिंग राइट्स के हकदार बन जाते हैं. उदाहरण के तौर पर, अगर आप रिलायंस या इन्फोसिस के शेयर रखते हैं, तो उनके भविष्य के मुनाफे में आपकी हिस्सेदारी होती है.

कमोडिटी मार्केट, इसके उलट, भौतिक वस्तुओं जैसे सोना, क्रूड ऑयल, गेहूं या दूसरे कच्चे माल की ट्रेडिंग करता है. यहां आप किसी कंपनी के हिस्सेदार नहीं बनते, बल्कि भौतिक वस्तु पर दांव लगाते हैं. यह फर्क तय करता है कि मूल्य कैसे बनता है और निवेशक की भागीदारी कैसी होती है.

प्रदर्शन बनाम सप्लाई-डिमांड

 

इक्विटी में कीमतें कंपनी के प्रदर्शन पर निर्भर होती हैं- कमाई, मैनेजमेंट के फैसले, सेक्टर ट्रेंड और आर्थिक नीतियां. तिमाही रिपोर्ट, कॉर्पोरेट गवर्नेंस, नियमों में बदलाव और निवेशक की भावना स्टॉक की कीमत तय करते हैं. यानी मूल्य वृद्धि धीरे-धीरे और आर्थिक स्वास्थ्य के साथ जुड़ी होती है.

कमोडिटी की कीमतें बाहरी कारकों से तय होती हैं. सप्लाई और डिमांड का संतुलन, मौसम (जैसे मॉनसून या सूखा), राजनीतिक घटनाएं और मुद्रा बदलाव प्राइस को बढ़ा या घटा सकते हैं. उदाहरण के लिए, तेल की कीमत में अचानक उछाल या कृषि फसल की बंपर पैदावार से अनाज की कीमत में गिरावट हो सकती है. इक्विटी निवेशक को बैलेंस शीट और मुनाफा ट्रैक करना पड़ता है, जबकि कमोडिटी ट्रेडर को वैश्विक खबरें, मौसम और इन्वेंट्री स्तर देखना पड़ता है.

निवेश का समय

इक्विटी आमतौर पर लंबी अवधि के लिए निवेश मानी जाती है. लोग सालों तक शेयर रखते हैं, ताकि डिविडेंड और कैपिटल एप्रिशिएशन का लाभ मिल सके. SIP इस प्रक्रिया को और भी असरदार बनाता है. कमोडिटी ट्रेडिंग में लोग अक्सर शॉर्ट-टर्म मार्केट में आते हैं. फ्यूचर्स और ऑप्शन्स के जरिए वे तेजी से कीमतों का फायदा उठाने या हेजिंग करने की कोशिश करते हैं.

पोजिशन अक्सर कुछ घंटों या दिनों में खुलती और बंद होती है. दोनों मार्केट्स में लिक्विडिटी होती है, लेकिन इक्विटी में धैर्य रखने वाले निवेशक फायदा पाते हैं, जबकि कमोडिटी में तेज़ निर्णय और जोखिम लेने वाले ही मुनाफा कमाते हैं.

जोखिम और उतार-चढ़ाव

इक्विटी मार्केट का जोखिम अधिकतर सिस्टमेटिक होता है- जैसे आर्थिक मंदी या नीति बदलाव से सभी शेयर प्रभावित हो सकते हैं. हालांकि दिन-प्रतिदिन उतार-चढ़ाव कम होता है. सर्किट ब्रेकर और रेगुलेटरी ओवरसाइट से स्टेबिलिटी मिलती है.

कमोडिटी मार्केट में उतार-चढ़ाव ज्यादा होता है. एक घटना, जैसे तेल टैंकर हादसा या अचानक ठंड की कीमतें तेजी से बदल सकती हैं. फ्यूचर्स में लीवरेज का इस्तेमाल लाभ और नुकसान को बढ़ा देता है. यह तय करता है कि निवेशक का रुख कैसा होगा- धीरे-धीरे बढ़ते रिटर्न पसंद हैं या तेज़ कीमतों में खेलना चाहते हैं.

ट्रेडिंग का तरीका

इक्विटी ट्रेडिंग भारत में NSE और BSE जैसे एक्सचेंज पर होती है. इसमें ब्रोकरेज, फीस और टैक्स लगते हैं. निवेशक को ट्रांसपेरेंसी और सेटलमेंट गारंटी मिलती है. डिविडेंड और शेयर बायबैक लॉन्ग टर्म में आय का जरिया हैं.

कमोडिटी ट्रेडिंग MCX और NCDEX जैसी प्लेटफॉर्म पर होती है. यहां स्पॉट मार्केट और डेरिवेटिव्स दोनों हैं. फ्यूचर्स और ऑप्शन्स आम हैं. डिलीवरी फिजिकल या कैश-सेटल्ड हो सकती है. मार्जिन, कॉन्ट्रैक्ट साइज और उतार-चढ़ाव के आधार पर लागत बदलती रहती है. ब्लू-चिप शेयरों में ट्रेडिंग आसान होती है, जबकि कुछ कमोडिटी के कॉन्ट्रैक्ट्स में लिक्विडिटी कम हो सकती है

पहलू इक्विटी मार्केट कमोडिटी मार्केट
संपत्ति कंपनी के शेयर, मालिकाना हक भौतिक वस्तुएं, कच्चा माल
कीमत तय करने वाले प्रदर्शन, कमाई, नीति सप्लाई/डिमांड, मौसम, राजनीतिक
निवेश का समय लंबी अवधि, कंपाउंडिंग छोटा, उतार-चढ़ाव भरा
जोखिम सिस्टमेटिक, कम दैनिक उतार व्यक्तिगत, ज्यादा उतार-चढ़ाव
ट्रेडिंग तरीका शेयर, डिविडेंड, रेगुलेटेड कॉन्ट्रैक्ट, फ्यूचर्स, स्पॉट

निवेशकों के लिए क्या सीखने को है

दोनों मार्केट्स में मौके हैं, लेकिन इनकी प्रकृति अलग है. इक्विटी उन लोगों के लिए सही है जो स्थिरता, मूल्य और कंपनी के विकास में भरोसा रखते हैं. कमोडिटी उन लोगों के लिए है जो वैश्विक उतार-चढ़ाव में तेज़ फैसले लेने और जोखिम लेने के लिए तैयार हैं. आपकी पसंद आपकी जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करती है- क्या आप कंपनी के विकास से रिटर्न चाहते हैं या कीमत की लहरों पर खेलना चाहते हैं?

खबर से जुड़े FAQS

इक्विटी मार्केट क्या है?

कंपनी के शेयर में निवेश करना और उसके मुनाफे में हिस्सा लेना.

कमोडिटी मार्केट क्या है?

सोना, तेल, गेहूं जैसी भौतिक वस्तुओं या डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग.

इक्विटी और कमोडिटी में निवेश का समय कितना होता है?

इक्विटी लॉन्ग टर्म के लिए, कमोडिटी शॉर्ट-टर्म और उतार-चढ़ाव वाला.

कौन सा मार्केट ज्यादा जोखिम वाला है?

कमोडिटी मार्केट ज्यादा उतार-चढ़ाव और जोखिम वाला होता है.

कौन सा मार्केट निवेशकों के लिए बेहतर है?

इक्विटी स्थिर और लॉन्ग टर्म के लिए, कमोडिटी तेज़ फैसले और जोखिम लेने वालों के लिए.

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