Uncategorized

बायजू रवींद्रन पर ₹9 हजार करोड़ का जुर्माना: अमेरिकी कोर्ट ने धोखाधड़ी केस में सुनाया फैसला, 2021 में लिया था ₹11 हजार करोड़ का कर्ज

बायजू रवींद्रन पर ₹9 हजार करोड़ का जुर्माना:  अमेरिकी कोर्ट ने धोखाधड़ी केस में सुनाया फैसला, 2021 में लिया था ₹11 हजार करोड़ का कर्ज

Last Updated on November 22, 2025 15:22, PM by Pawan

2024 में बायजूस की वैल्यूएशन शून्य हो गई थी। कानूनी लड़ाइयां, कर्ज का पहाड़ और संचालन में अस्थिरता ने इसे डुबो दिया। बायजू रवींद्रन ने इसे 2011 में शुरू किया था।

अमेरिका के डेलावेयर बैंकरप्सी कोर्ट ने बायजू रवींद्रन पर 1 बिलियन डॉलर (9 हजार करोड़ रुपए) से ज्यादा का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने ये फैसला बायजूस अल्फा और अमेरिका लोन देने वाली कंपनी ग्लास ट्रस्ट कंपनी LLC द्वारा दायर याचिका पर सुनाया है।

 

बायजूस अल्फा एक अमेरिकी कंपनी है, जो भारतीय एडटेक बायजूस की सहायक कंपनी है। इसे 2021 में डेलावेयर (अमेरिका) में स्थापित किया गया था। यह एक शेल कंपनी के रूप में काम करती है, जिसका मुख्य उद्देश्य बायजूस (BYJU’s) के लिए फंडिंग जुटाना था।

शेल कंपनी कागजों पर बनी ऐसी कंपनियां होती है, जो वास्तविक कारोबार नहीं करती हैं। इनमें किसी तरह का कोई काम नहीं होता, केवल कागजों पर एंट्री दर्ज की जाती हैं।

क्या है मामला? बायजू रवींद्रन की कंपनी बायजूस ने अमेरिकी बैंकों और लेंडर्स के एक ग्रुप से 2021 में करीब 1.2 बिलियन डॉलर (11 हजार करोड़ रुपए) का कर्ज लिया था। यह पैसा बायजूस के ऑपरेशंस (संचालन) में इस्तेमाल होना था।

लोन चुकाने में डिफॉल्ट (नाकाम) होने के बाद अप्रैल 2024 में बायजूस अल्फा ने ही बायजूस के फाउंडर बायजू रवींद्रन, उनकी पत्नी दिव्या गोकुलनाथ, भाई रिजू रवींद्रन और अन्य पर 533 मिलियन डॉलर (करीब 4,500 करोड़ रुपए) की चोरी और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए केस किया। हाल ही में (नवंबर 2025) डेलावेयर कोर्ट ने रवींद्रन के खिलाफ डिफॉल्ट जजमेंट दिया है। इसमें उन्हें 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा चुकाने का आदेश है।

मिस-मैनेजमेंट ने बायजूस को डुबोया

चढ़ने की कहानी: 2011 में रवींद्रन ने बायजूस की शुरुआत एक छोटे एजुकेशन प्लेटफॉर्म के रूप में की। यह कोचिंग क्लासेस से शुरू हुआ, लेकिन 2015 में ऐप लॉन्च के साथ यह तेजी से बढ़ा। बच्चों के लिए इंटरैक्टिव लर्निंग, आसान भाषा और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल इसकी खासियत बनी।

2020-21 में कोविड महामारी ने ऑनलाइन एजुकेशन की डिमांड बढ़ा दी और बायजूस ने इसका पूरा फायदा उठाया। आक्रामक मार्केटिंग (शाहरुख खान जैसे ब्रांड एम्बेसडर) और अधिग्रहण (व्हाइटहैट जूनियर, आकाश जैसी कंपनियां) ने इसे 2022 तक $22 बिलियन की वैल्यूएशन तक पहुंचा दिया, जिससे यह भारत का सबसे मूल्यवान स्टार्टअप बन गया।

2011 में बायजू रवींद्रन ने बायजूस की शुरुआत एक छोटे ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म के रूप में की थी। X पर उन्होंने ये तस्वीर शेयर की थी।

2011 में बायजू रवींद्रन ने बायजूस की शुरुआत एक छोटे ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म के रूप में की थी। X पर उन्होंने ये तस्वीर शेयर की थी।

गिरावट की शुरुआत: 2022 के बाद बायजूस की चमक फीकी पड़ने लगी। आक्रामक विस्तार और अधिग्रहण के लिए लिया गया भारी कर्ज कंपनी पर बोझ बन गया। फाइनेंशियल रिपोर्ट्स में देरी हुई और 2021-22 में ₹8,245 करोड़ का घाटा सामने आया। निवेशकों ने पारदर्शिता पर सवाल उठाए। कंपनी पर आक्रामक सेल्स टैक्टिक्स और रिफंड न देने के आरोप लगे, जिससे ग्राहकों का भरोसा टूटा।

ढलान की ओर: 2023 तक हालात बिगड़ गए। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने FEMA उल्लंघन की जांच शुरू की। बोर्ड मेंबर और ऑडिटर डेलॉइट ने इस्तीफा दे दिया। अमेरिकी कर्जदाताओं ने दिवालियापन की मांग की। कर्मचारी निकाले गए। बायजूस की वैल्यूएशन तेजी से गिरी।

अंत की ओर: 2024 तक बायजूस की वैल्यूएशन शून्य हो गई। कानूनी लड़ाइयां, कर्ज का पहाड़ और संचालन में अस्थिरता ने इसे डुबो दिया। अभी इस पर दिवालियेपन की कार्रवाई चल रही है।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top