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मीशो IPO का प्राइस बैंड ₹105-111 तय: 2015 में दो दोस्तों ने अपार्टमेंट से शुरू की थी कंपनी, आज इसकी वैल्यू ₹50 हजार करोड़

मीशो IPO का प्राइस बैंड ₹105-111 तय:  2015 में दो दोस्तों ने अपार्टमेंट से शुरू की थी कंपनी, आज इसकी वैल्यू ₹50 हजार करोड़

Last Updated on November 28, 2025 16:44, PM by Pawan

 

भारत के सबसे बड़े ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स में से एक मीशो का IPO 3 दिसंबर 2025 से सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगा। कंपनी ने प्राइस बैंड ₹105 से ₹111 प्रति शेयर के बीच तय किया है। लॉट साइज 135 शेयर का है, यानी रिटेल इन्वेस्टर्स को ऊपरी प्राइस पर न्यूनतम ₹14,685 लगाने होंगे।

 

IPO 5 दिसंबर को बंद होगा, अलॉटमेंट 8 दिसंबर को और लिस्टिंग 10 दिसंबर को BSE-NSE पर होगी। मीशो का IPO कुल ₹5,421 करोड़ का है। IPO में ₹4,250 करोड़ का फ्रेश इश्यू (38.29 करोड़ शेयर) और 1171 करोड़ रुपए का ऑफर फॉर सेल (10.55 करोड़ शेयर) है।

GMP पर नजर: अभी 30% प्रीमियम दिखा रहा

मीशों का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) अभी 30% है। यानी, लिस्टिंग पर अच्छा गेन मिल सकता है। IPO का ग्रे मार्केट प्रीमियम ये बताता है कि लिस्टिंग से पहले अनऑफिशियल मार्केट में लोग उस IPO के शेयर को कितने रुपए ज्यादा देकर खरीदने को तैयार हैं।

ग्रे मार्केट एक अनऑफिशियल तरीका है जिसमें कुछ ट्रेडर लिस्टिंग से पहले ही शेयर खरीदते-बेचते हैं। चूंकि GMP ये दिखाता है कि लोग कितना प्रीमियम देने को तैयार हैं, इसलिए ज्यादातर निवेशक इसी से अंदाजा लगाते हैं कि शेयर लिस्टिंग के दिन कितने रुपए पर खुलेगा।

कई बार ग्रे मार्केट प्रीमियम बिल्कुल सटीक साबित होता है, कई बार थोड़ा ऊपर-नीचे भी हो जाता है। लेकिन ये लिस्टिंग गेन का अंदाजा लगाने का सबसे पॉपुलर तरीका है ।

फंड्स का इस्तेमाल: AI और क्लाउड पर फोकस

मीशो के फ्रेश इश्यू से आने वाले ₹4,250 करोड़ का बड़ा हिस्सा टेक्नोलॉजी पर जाएगा। ₹1,390 करोड़ मीशो टेक्नोलॉजीज सब्सिडियरी के लिए क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होगा।

मार्केटिंग और ब्रांडिंग पर ₹1,020 करोड़ खर्च होंगे। ₹480 करोड़ मशीन लर्निंग और AI टीम्स के करंट और न्यू हायर्स के सैलरी पर। बाकी इनऑर्गेनिक ग्रोथ और जनरल कॉर्पोरेट पर्पस के लिए है।

2015 में दो दोस्तों ने एक अपार्टमेंट से शुरू की थी कंपनी

IIT दिल्ली के दो दोस्तों विदित आत्रेय और संजीव बरनवाल ने 2015 में मीशो नाम की कंपनी शुरू की थी। बेंगलुरु के कोरमंगला इलाके के छोटे से दो बेडरूम अपार्टमेंट में इनका ऑफिस था। डाइनिंग टेबल ही उनका पहला वर्कस्टेशन था। दोनों ने रिस्क लिया और छोटे-छोटे स्टेप्स से आगे बढ़े।

ये सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्म आज भारत की बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में शुमार है, जहां छोटे शहरों की महिलाएं बिना इन्वेस्टमेंट के प्रोडक्ट्स बेचकर कमाई कर रही हैं। मीशो की शुरूआत छोटी थी, लेकिन फंडिंग और यूजर ग्रोथ से ये 50 हजार करोड़ रुपए का बिजनेस बन गया।

ये सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्म कस्टमर्स, सेलर्स, लॉजिस्टिक्स पार्टनर्स और कंटेंट क्रिएटर्स को एक ही टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म पर जोड़ता है। इससे छोटे-छोटे मैन्युफैक्चरर और डिस्ट्रीब्यूटर भी अच्छा कारोबार कर पा रहे हैं, जो पहले बड़े प्लेटफॉर्म्स पर जगह नहीं बना पाते थे।

दो दोस्त विदित आत्रेय और संजीव बरनवाल ने 2015 में मीशो नाम की कंपनी शुरू की थी।

दो दोस्त विदित आत्रेय और संजीव बरनवाल ने 2015 में मीशो नाम की कंपनी शुरू की थी।

मीशो ने सोशल मीडिया की ताकत का फायदा उठाया

पारंपरिक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स (जैसे फ्लिपकार्ट-अमेजन) से बिल्कुल अलग, मीशो ने सोशल मीडिया की ताकत का फायदा उठाया। यहां सेलर्स या “रीसेलर” एप पर प्रोडक्ट्स चुनते हैं और अपने पर्सनल नेटवर्क यानी व्हाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम ग्रुप्स में शेयर करके बेचते हैं।

इस नए तरीके से ऑनलाइन बिजनेस करना हर किसी के लिए आसान हो गया। कोई भी व्यक्ति बिना एक रुपया लगाए अपना छोटा-मोटा बिजनेस शुरू कर सकता है। मीशो ने फैशन, लाइफस्टाइल प्रोडक्ट्स, छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स और अनब्रांडेड सामान पर फोकस किया।

फाइनेंशियल परफॉर्मेंस: रेवेन्यू बढ़ा, लॉस में कमी

कंपनी के फाइनेंशियल्स में सुधार दिख रहा है। सितंबर 2025 तक के छह महीनों में रेवेन्यू 29.4% बढ़कर ₹5,577.5 करोड़ हो गया, जो पिछले साल के इसी पीरियड के ₹4,311.3 करोड़ से ज्यादा है। इसी दौरान लॉस घटकर ₹700.7 करोड़ रह गया, जो पहले ₹2,512.9 करोड़ था।

यह ग्रोथ यूजर बेस बढ़ने और ऑर्डर वॉल्यूम से आई है। लेकिन कंपनी अभी भी लॉस में चल रही है, जो ई-कॉमर्स सेक्टर का कॉमन चैलेंज है। कंपनी के साथ जिन दूसरी कंपनियों की तुलना की जाती है, उनमें शामिल है- इटर्नल, स्विगी, फर्स्टक्राई, नायका, विशाल मेगा मार्ट, डी मार्ट।

तुलना से मतलब है जिनका बिजनेस कुछ-कुछ ऐसा ही है और जो पहले से शेयर बाजार में लिस्ट हैं। इनके शेयर प्राइस से पता चलता है कि मीशो जैसी कंपनी की वैल्यू कितनी हो सकती है।

ऑडर्स के मामले में मीशो नंबर-1 पोजीशन पर

30 सितंबर 2025 तक के 12 महीनों में मीशो ने सबसे ज्यादा ऑर्डर्स और हर साल खरीदारी करने वाले यूजर्स के मामले में भारत में नंबर-1 पोजीशन हासिल की है।

  • कुल सालाना एक्टिव कस्टमर्स 23.42 करोड़ है।
  • इनमें से 20.58 करोड़ टॉप-8 बड़े शहरों के बाहर के हैं।
  • कुल एक्टिव कस्टमर्स में 53.27% यूजर्स महिलाएं हैं।

मीशो की 2023 में औसत ऑर्डर वैल्यू 337 रुपए थी, जो 2025 में घटकर सिर्फ ₹274 रह गई। इसके बावजूद कुल ऑर्डर्स 183 करोड़ तक पहुंच गए। मीशो का मॉडल सस्ता और हर किसी की पहुंच में है।

प्रमुख निवेशक: सॉफ्टबैंक और प्रोसस की बड़ी हिस्सेदारी

मीशो के बड़े शेयरहोल्डर्स में इलेवेशन कैपिटल (15.11%), प्रोसस की नैस्पर्स वेंचर्स (12.34%), पीक XV पार्टनर्स (11.3%), सॉफ्टबैंक की SVF II मीरकैट (9.3%) और वेस्टब्रिज क्रॉसओवर फंड (3.92%) शामिल हैं। ये इन्वेस्टर्स OFS में शेयर बेचेंगे।

भविष्य की संभावनाएं: ई-कॉमर्स ग्रोथ का फायदा

भारत का ई-कॉमर्स मार्केट तेजी से बढ़ रहा है, और मीशो टियर-2, टियर-3 शहरों में पॉपुलर है। IPO के बाद कंपनी AI और क्लाउड इन्वेस्टमेंट से यूजर एक्सपीरियंस बेहतर करेगी। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर मार्केट सेंटिमेंट अच्छा रहा तो लिस्टिंग के बाद शेयर में 15-25% गेन की संभावना है।

हालांकि, अमेजन, फ्लिपकार्ट से मीशो का कड़ा कॉम्पिटिशन है। प्रॉफिटेबिलिटी पर भी फोकस जरूरी है। लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स के लिए ये अच्छी ऑपर्चुनिटी वाला IPO लगता है।

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